Electric Cars आयातित पर अब भारत में 110% की बजाय केवल 15% टैक्स लगेगा

भारत को Electric Cars निर्माण का महत्वपूर्ण हब बनाने के लिए सरकार एक नई योजना लागू करने जा रही है, जो ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत आ रही है।

भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) जल्द ही भारत में इलेक्ट्रिक पैसेंजर कारों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए SPMEPCI नामक योजना लॉन्च करने वाला है। सरकार की इस एजेंसी ने योजना के लिए अंतिम नियमावली जारी कर दी है, और कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय ऑटो कंपनियों ने इसमें हिस्सा लेने की इच्छा जताई है।

SPMEPCI योजना के अंतर्गत ऑटो कंपनियों को CBU रूट से सीमित संख्या में इलेक्ट्रिक कारें 15% कम कस्टम ड्यूटी पर आयात करने का अवसर मिलेगा, जो कि सामान्य तौर पर 110% तक होती है। इसके बदले, उन्हें भारत में उच्च स्थानीयकरण के साथ इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन करना होगा।

Also Read: 5 बिल्कुल नई Maruti Suzuki SUVs भारत में लॉन्च होने वाली जिनका आपको इंतजार करना चाहिए

Electric Cars 360° View

360:View X: 0°, Y: 0°
Electric Cars

भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) ने SPMEPCI योजना को केवल उन प्रतिष्ठित कंपनियों के लिए डिजाइन किया है, जिनकी वैश्विक स्तर पर समूह की वार्षिक आय न्यूनतम 10,000 करोड़ रुपये और स्थायी परिसंपत्तियों में निवेश कम से कम 3,000 करोड़ रुपये है। ऐसे पात्र कंपनियां इस योजना के तहत 5 लाख रुपये की गैर-वापसी योग्य शुल्क के साथ शीघ्र ही आवेदन करने में सक्षम होंगी।

Also Read: 2025 Mahindra XUV 3XO REVX सीरीज़ लॉन्च हुई, कीमत ₹8.94 लाख से शुरू

BMW i7 696x398 1

मंजूरी प्राप्त करने वाले आवेदकों को तीन वर्षों के भीतर भारत में इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण में न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। साथ ही, इस समयावधि में उन्हें 25% घरेलू मूल्य वर्धन (DVA) हासिल करना जरूरी होगा, जिसे पांच साल के भीतर बढ़ाकर 50% तक ले जाना अनिवार्य रहेगा।

Also Read: नई Hyundai Small Electric SUV आ रही है, जिसमें टेस्ला जैसा इंफोटेनमेंट सिस्टम मिलेगा

मनीकंट्रोल डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, योजना के तहत चुने गए आवेदकों को चौथे वर्ष में कम से कम 5,000 करोड़ रुपये और पांचवें वर्ष में 7,500 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करना जरूरी होगा। यदि ये कंपनियां निर्धारित लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाती हैं, तो निर्धारित लक्ष्य से हुई कमी पर अधिकतम 3% तक का दंड लगाया जा सकता है।

Tesla Model Y Juniper2 696x391 1

भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) ने 4,150 करोड़ रुपये के न्यूनतम निवेश की आवश्यकता में ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड दोनों तरह की परियोजनाओं को शामिल किया है। मान्यता प्राप्त कंपनियां इस निवेश को नए संयंत्रों, मशीनरी, उपकरणों, सहायक यूटिलिटीज़ और इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर खर्च करके पूरा कर सकती हैं। हालांकि, भूमि खरीद पर हुआ खर्च इस निवेश में गिना नहीं जाएगा, लेकिन यदि मुख्य संयंत्र और यूटिलिटीज़ से जुड़ी इमारतों का व्यय कुल निवेश का 10% से कम है, तो उसे शामिल किया जा सकता है। साथ ही, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर किए गए खर्च को भी स्वीकार किया जाएगा, परंतु यह राशि कुल निवेश का अधिकतम 5% ही हो सकती है।

सरकार द्वारा अनुमोदित ऑटो निर्माता कंपनियों को 15% कस्टम ड्यूटी पर न्यूनतम CIF मूल्य $35,000 वाली अधिकतम 8,000 इलेक्ट्रिक कारें आयात करने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि इससे होने वाला शुल्क छूट 6,484 करोड़ रुपये या कंपनी का घोषित निवेश—इनमें से जो राशि कम हो—से अधिक न हो। भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) के अनुसार, टेस्ला फिलहाल भारत में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करने की योजना नहीं बना रही है, लेकिन मर्सिडीज-बेंज, हुंडई, किया, फॉक्सवैगन और स्कोडा जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियों ने इस योजना में रुचि दिखाई है।

Article by Sonam

8e5be1dbf92cde816b4cdba33613a458a807c3fd352767817693538029c129c1?s=100&d=mm&r=g Sonam यह Trendnut की मुख्या लेखक हैं जो ताज़ा और सटीक खबरें पेश करती हैं।

Leave a Comment