भारत में Electric Car की मांग लगातार बढ़ रही है, क्योंकि नए-नए मॉडल उपलब्ध हो रहे हैं और चार्जिंग स्टेशनों का जाल शहरों और महत्वपूर्ण राजमार्गों पर फैलता जा रहा है।
2025 भारत में इलेक्ट्रिक कारों के लिए ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए एक शानदार वर्ष साबित हो सकता है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में प्रभावशाली 40% वृद्धि देखी जा सकती है। ET Auto की रिपोर्ट के अनुसार, रिसर्च फर्म Frost and Sullivan द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन के मुताबिक, इस साल भारत में बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (BEVs) की बिक्री नई कारों की कुल बिक्री में 1,38,606 यूनिट्स का योगदान दे सकती है। जबकि सरकार के Vahan पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष भारत में 99,004 इलेक्ट्रिक कारें बिकी थीं, ऐसे में यह आंकड़ा 39,602 यूनिट्स की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है, जो एक स्वस्थ और उत्साहजनक विकास दर मानी जा रही है।
इस वर्ष भारत के बाजार में इलेक्ट्रिफाइड वाहनों की बिक्री में बीईवी (बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन) का दबदबा रहने की संभावना है, जबकि पीएचईवी (प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन) की हिस्सेदारी केवल 0.1% रहने का अनुमान है। भारत में पीएचईवी केवल कुछ गिने-चुने लग्ज़री मॉडलों तक ही सीमित हैं और निकट भविष्य में इस स्थिति में कोई बड़ा बदलाव होने की उम्मीद नहीं है। जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, कुछ चुनिंदा यूरोपीय देशों और अन्य कुछ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एफसीईवी (फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन) उपलब्ध हैं, लेकिन भारत में अब तक एक भी एफसीईवी लॉन्च नहीं हुआ है।
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Electric Car 360° View

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बात की जाए तो SUV बॉडी स्टाइल सबसे अधिक पसंद किया जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि देश में अधिकतर इलेक्ट्रिक कारें SUV सेगमेंट में ही लॉन्च की जा रही हैं। पिछले वर्ष सबसे ज्यादा बिकने वाली पांच इलेक्ट्रिक कारों में Tata Punch.ev, Tiago.ev, Nexon.ev, MG Comet और MG Windsor का नाम शामिल रहा। ब्रांड स्तर पर Tata ने सबसे ज्यादा बिक्री दर्ज की, उसके बाद क्रमशः MG, Mahindra, BYD और Citroen का स्थान रहा।
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भारत में इलेक्ट्रिक कारों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसका प्रमुख कारण बाजार में उपलब्ध मॉडलों की विविधता और चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क का विस्तार है। जहाँ कई स्थापित ऑटोमोबाइल कंपनियाँ पहले ही अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ पेश कर चुकी हैं, वहीं कुछ अन्य कंपनियाँ इस दशक के अंत तक भारतीय बाजार में कदम रखने की योजना बना रही हैं। इसी के साथ, कुछ महत्वाकांक्षी कंपनियाँ जैसे कि VinFast सीधे इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ भारत में एंट्री की तैयारी में हैं। इनका लक्ष्य केवल EVs को ही बेचने का है, और इनका पूरा ध्यान इसी सेगमेंट पर केंद्रित है।
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वियतनाम की ऑटोमोबाइल कंपनी VinFast ने अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ VF 6 और VF 7 को भारत में सार्वजनिक जगहों पर दिखाना शुरू कर दिया है और इन मॉडलों को अगले कुछ महीनों में लॉन्च करने की योजना बनाई गई है। मारुति सुज़ुकी भी अपनी पहली इलेक्ट्रिक SUV e‑Vitara को इस साल के अंत तक बाज़ार में पेश करने की तैयारी कर रही है। इस लॉन्च को देश में तेजी से फैल रहे फास्ट‑चार्जिंग नेटवर्क का सहयोग मिलेगा, जिससे EV को अपनाने की रफ्तार और तेज़ हो सकती है। इसी बीच, MG मोटर इंडिया दो नई इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ एंट्री करने वाली है — एक स्टाइलिश और स्पोर्टी Cyberster रोडस्टर और दूसरी एक लग्ज़री से भरपूर M9 इलेक्ट्रिक MPV।
Frost and Sullivan की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 2030 तक सात लाख यूनिट तक पहुँचने की संभावना है। इस वृद्धि में Tata, Mahindra और MG जैसे ब्रांड प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि दशक के अंत तक हर पाँच इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक चार्जिंग पॉइंट उपलब्ध होना जरूरी होगा। वर्तमान में देश में लगभग 60,000 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की व्यवस्था है। हालांकि, अभी भारत का EV सेक्टर काफी हद तक चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से आने वाले कच्चे माल और प्रमुख कंपोनेंट्स पर निर्भर करता है। इस स्थिति को बदलने के लिए देश को अब स्थानीय उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला के विकास (localisation) पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि भविष्य में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की जा सके।