जब तक आईसीई (इंटरनल कंबशन इंजन) वाहनों की मांग बनी रहती है, तब तक CNG Cars पर्यावरण के प्रति जागरूक और बजट-संवेदनशील ग्राहकों के लिए एक स्मार्ट विकल्प के रूप में उभरती रहेंगी। भले ही ईवी को भविष्य का हरित समाधान माना जाए, सीएनजी वाहन निकट भविष्य में कम लागत और कम उत्सर्जन के संयोजन के कारण अधिक लोकप्रिय बने रहेंगे।
भारत में सीएनजी कारों की मांग ने बीते कुछ वर्षों में जबरदस्त रफ्तार पकड़ी है। एक ओर जहां ईंधन की बढ़ती कीमतें लोगों की जेब पर असर डाल रही हैं, वहीं दूसरी ओर मेट्रो शहरों में सरकार की डीज़ल के प्रति सख्त नीति ने उपभोक्ताओं को वैकल्पिक विकल्पों की ओर मोड़ दिया है। नतीजतन, अब ज़्यादा से ज़्यादा ग्राहक पेट्रोल के बजाय सीएनजी विकल्प को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ (SIAM) के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2025 में सीएनजी कारों की बिक्री कुल कार बाजार का 19.5% हिस्सा बन गई, जबकि FY2020 में यह सिर्फ 6.3% थी। साफ है कि पांच वर्षों में सीएनजी कारों की बाजार हिस्सेदारी तीन गुना से भी ज़्यादा बढ़ चुकी है।
पेट्रोल कारों की लोकप्रियता में पिछले कुछ वर्षों में明显 गिरावट आई है। जहां FY2020 में कुल कार बिक्री में इनका योगदान 76.3% था, वहीं FY2025 तक यह घटकर केवल 57.7% रह गया। दूसरी ओर, डीज़ल कारों की मांग पहले से ही सीमित थी, और BS6 उत्सर्जन मानकों की शुरुआत ने इस सेगमेंट को और कमजोर कर दिया। परिणामस्वरूप, डीज़ल कारों की बाजार हिस्सेदारी बीते पांच वर्षों से 17% से 19% के बीच ही बनी हुई है, जिसमें कोई विशेष वृद्धि देखने को नहीं मिली है।
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CNG Cars 360° View

वित्त वर्ष 2026 सीएनजी वाहनों के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष साबित हो सकता है, क्योंकि ऐसा पहली बार होगा जब इनकी बिक्री 10 लाख यूनिट के आंकड़े को पार कर सकती है। अनुमान है कि यह संख्या FY2025 की तुलना में करीब 20% अधिक होगी, जब देश में 8.39 लाख से अधिक सीएनजी कारों की बिक्री दर्ज की गई थी। यह बढ़त सीएनजी वाहनों की लगातार बढ़ती लोकप्रियता और उपभोक्ताओं के बदलते रुझान को दर्शाती है।
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सीएनजी कारों की बढ़ती लोकप्रियता ने ऑटोमोबाइल कंपनियों का ध्यान तेजी से आकर्षित किया है। मारुति सुज़ुकी, टाटा मोटर्स और हुंडई जैसी अग्रणी ब्रांड्स उपभोक्ताओं की बदलती पसंद को ध्यान में रखते हुए अपने सीएनजी मॉडल्स की रेंज को लगातार बढ़ा रही हैं। FY2021 में जहां सीएनजी विकल्पों की संख्या केवल 11 थी, वहीं FY2025 तक यह बढ़कर 25 हो गई है — यानी बीते पांच वर्षों में बाजार में उपलब्ध मॉडलों की संख्या दो गुना से भी अधिक हो चुकी है।
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सीएनजी कारों की सीमाओं को दूर करने के लिए ऑटो निर्माता अब नवाचार की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। टाटा मोटर्स और हुंडई जैसी कंपनियां अब पारंपरिक बड़े सिलेंडर की बजाय दो छोटे सिलेंडरों का इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे बूट स्पेस की समस्या काफी हद तक हल हो रही है। उधर, सरकार भी इस बदलाव को समर्थन दे रही है और देशभर में सीएनजी स्टेशन नेटवर्क को तेजी से विस्तार दे रही है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक सीएनजी पंपों की संख्या 7,400 से बढ़ाकर 17,500 तक पहुंचाई जाए, ताकि सीएनजी को एक सुलभ और व्यावहारिक ईंधन विकल्प बनाया जा सके।
सीएनजी कारों की बढ़ती मांग के साथ, मारुति सुज़ुकी ने इस सेगमेंट में अपनी पकड़ को और मजबूत किया है। कंपनी सबसे बड़ी सीएनजी रेंज पेश कर रही है, जिसमें ऑल्टो, एस-प्रेसो, वैगन आर, सेलेरियो, ईको, स्विफ्ट, ब्रेज़ा, डिज़ायर, बलेनो, फ्रोंक्स, अर्टिगा, एक्सएल6 और ग्रैंड विटारा जैसे लोकप्रिय मॉडल शामिल हैं। टाटा मोटर्स भी पीछे नहीं है। कर्व, हैरियर और सफारी को छोड़कर, कंपनी टियागो, टिगोर, पंच, अल्ट्रोज़ और नेक्सॉन जैसे लगभग सभी प्रमुख मॉडलों में सीएनजी विकल्प प्रदान कर रही है। इसके अलावा, कर्व का सीएनजी संस्करण भी परीक्षण चरण में है और इसके जल्द लॉन्च होने की उम्मीद है। वहीं हुंडई इस सेगमेंट में थोड़ा सीमित है। कंपनी फिलहाल केवल तीन मॉडल्स – ग्रैंड i10 नियॉस, ऑरा और एक्सटर – को ही सीएनजी विकल्प के साथ पेश कर रही है।