Bajaj, Ather और TVS चीन से आयात किए गए रियर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल भारतीय बाजार में बिकने वाले ईवी ब्रांड्स के इलेक्ट्रिक स्कूटरों के ट्रैक्शन मोटर्स में किया जाता है।
भारत के प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं जैसे बजाज ऑटो, एथर एनर्जी और टीवीएस मोटर कंपनी को चीन से हेवी रेयर अर्थ (HRE) मैग्नेट्स की आपूर्ति में आई रुकावट के चलते अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ सकती है। बीते चार महीनों से यह संकट बना हुआ है, जिससे अब इन कंपनियों के उत्पादन स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है। दूसरी ओर, बेंगलुरु की ओला इलेक्ट्रिक ने दावा किया है कि उसकी उत्पादन प्रक्रिया इस संकट से प्रभावित नहीं होगी और उसका निर्माण कार्य पहले की तरह सुचारु रूप से चलता रहेगा।
पुणे की प्रमुख ऑटो कंपनी बजाज ऑटो पर HRE मैग्नेट्स की कमी का सबसे गहरा प्रभाव पड़ने वाला है, क्योंकि कंपनी ने अपने इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन को 50 प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया है। इसी तरह, एथर एनर्जी भी रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सीमित उपलब्धता के कारण अपने ई-स्कूटर निर्माण में 8 से 10 फीसदी की कमी लाएगी। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार में बीते तीन महीनों से शीर्ष पर बनी हुई टीवीएस मोटर कंपनी भी इस सप्लाई संकट से जूझने के लिए अपने उत्पादन को कम करने की योजना बना रही है।
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जिन लोगों को जानकारी नहीं है, उन्हें बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में ट्रैक्शन मोटर्स के निर्माण में रेयर अर्थ मैग्नेट्स का अहम इस्तेमाल होता है। इस संबंध में टीवीएस मोटर के एक प्रवक्ता ने कहा, “ईवी इंडस्ट्री की सप्लाई चेन में, खासकर मैग्नेट्स की उपलब्धता को लेकर जो रुकावटें आ रही हैं, वे आने वाले कुछ समय तक परेशानी का कारण बनी रहेंगी। हालांकि, हम इन चुनौतियों को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।”
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बजाज ऑटो के कार्यकारी निदेशक राकेश शर्मा ने बताया, “हमने चेतक मॉडल की उत्पादन लाइन में कुछ बाधाएं अनुभव करनी शुरू कर दी हैं। हमारी R&D और सप्लाई टीम संभावित विकल्पों पर काम कर रही हैं, जो अब अपने अंतिम विकास चरण में हैं।” वहीं, एथर एनर्जी की ओर से इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। बता दें कि ओला, एथर, टीवीएस और बजाज जैसे चार प्रमुख ईवी निर्माता मिलकर देश में बिकने वाले 10 में से 8 इलेक्ट्रिक स्कूटर की बिक्री के लिए ज़िम्मेदार हैं।
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ओला इलेक्ट्रिक का कहना है कि उसके पास रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इतना भंडार है, जो आने वाले 5 से 6 महीनों तक उत्पादन के लिए पर्याप्त रहेगा। इतना ही नहीं, कंपनी जुलाई में अपने प्रोडक्शन को कुछ स्तर तक बढ़ाने की भी योजना बना रही है। साथ ही, मौजूदा संकट से निपटने के लिए ओला वैकल्पिक समाधानों पर भी सक्रिय रूप से काम कर रही है। यह भी उल्लेखनीय है कि बीते कुछ महीनों में ओला की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसके चलते बजाज और टीवीएस ने उससे इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में अग्रणी स्थान छीन लिया।
ओला इलेक्ट्रिक के एक प्रवक्ता ने स्पष्ट किया, “रेयर अर्थ मैग्नेट्स की कमी का हमारे उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा है,” हालांकि उन्होंने इस विषय में अधिक जानकारी साझा करने से मना कर दिया। उधर, केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारी चीन के अधिकारियों के साथ लगातार संवाद में हैं ताकि जल्द से जल्द आपूर्ति व्यवस्था को सामान्य किया जा सके। इसी के साथ, वाहन निर्माता कंपनियाँ वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तलाश में वियतनाम, इंडोनेशिया और जापान के विभिन्न सप्लायर्स से भी बातचीत कर रही हैं।